पर कोई नहीं है अपना, सब अपने काम के लिए बने हैं। पर कोई नहीं है अपना, सब अपने काम के लिए बने हैं।
सब छोड़ा, बस वही नहीं छूटा। सब छोड़ा, बस वही नहीं छूटा।
इस कोरोना ने सब को कम में जीना सिखाया है। कम में जीना सिखाया है। इस कोरोना ने सब को कम में जीना सिखाया है। कम में जीना सिखाया है।
ये कविता हर इंसान के लिए है, महज़ लड़कियों के लिए नहीं, हर उस इंसान के लिए, जो सांस ले रहा है, जी रहा ... ये कविता हर इंसान के लिए है, महज़ लड़कियों के लिए नहीं, हर उस इंसान के लिए, जो सां...
रूपांतरित कर देना का सब कुछ खुद सा सब कुछ स्वीकार करते हुये। रूपांतरित कर देना का सब कुछ खुद सा सब कुछ स्वीकार करते हुये।
कहने को दो-दो घर मेरे, फिर भी मैं पराई हूँ ! कहने को दो-दो घर मेरे, फिर भी मैं पराई हूँ !